राजस्थान के प्रमुख जलप्रपात में मुख्यत: चूलिया जलप्रपात (chuliya waterfall), मेनाल जलप्रपात, भीमलत जलप्रपात, दिर जलप्रपात, भील बेरी जलप्रपात, दमोह जलप्रपात, अरणा-जरणा जलप्रपात और पांडुपोल जलप्रपात है। पहाड़ो या चट्टानों से बहकर आने वाला तीव्र गति का पानी जब अपनी पतली धारा के साथ किसी निचली जगह या गड्डे में गिरता है, तो उसे जलप्रपात कहते है। यदि जमीन के अंदर से कोई पानी की धारा फूट कर बहने लग जाए तो उसे झरना कहते है। अर्थात् झरने के द्वारा पानी बहता है और जल प्रपात में पानी ऊपर से गिरता है।
राजस्थान में सर्वाधिक जलप्रपात दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में स्थित है। राजस्थान में पर्यटन एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, और इसके लिए जलप्रपात एक प्रमुख आकर्षण हैं। कुछ जलप्रपात राजस्थान के पर्यटन स्थलों में शामिल हैं और वहाँ के पर्यटक इन्हें देखने और आनंद लेने के लिए आते हैं। राजस्थान के भील बेरी जलप्रपात को देखने के लिए सबसे अधिक पर्यटक आते है।
राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात कौन सा है –
राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात पाली जिले में स्थित भील बेरी जलप्रपात है, जिसकी ऊँचाई 55 मीटर (182 फिट) है। (Source) हालाँकि यह जलप्रपात बरसात के मौसम में ही बहता है। भील बेरी जलप्रपात को ‘राजस्थान का दूध सागर’ कहते है, क्योंकि यह झरना इतनी ऊंचाई से गिरता है, तो दूध जैसा प्रतीत होता है। प्रकृति की वादियों में बसा यह स्थान चेन्नई एक्सप्रेस के दूध सागर जैसा प्रतीत होता है। यहां आने पर आपको उत्तराखंड जैसा एहसास होता हैं। भील बेरी को राजस्थान का मेघालय भी कहते है।
राजस्थान का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात भीलवाड़ा जिले में स्थित मेनाल जलप्रपात है, जिसकी ऊँचाई 180 फीट है (Source)। इस झरने के उपर पथरीली जमीन और चट्टानें होने से कम बारिश में भी झरना बहने लगता है। यही कारण है कि हर साल मानसून की बारिश में जिले में सबसे पहले मेनाल का झरना शुरू होता है।
राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात किस नदी पर है –
राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात किसी भी नदी पर नहीं है, क्योंकि राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात पाली जिले में स्थित भील बेरी जलप्रपात (182 फीट) है, जो मानसून काल में केवल बारिश के पानी से ही बनता है। इस झरने में बारिश के दिनों में अरावली पर्वतमाला से पानी बहकर आता है। यह झरना एक बार शुरू होने के बाद लगातार 2 महीनो तक बिना रुके बहता है।
चूलिया जलप्रपात की ऊंचाई कितनी है –
चूलिया जलप्रपात की ऊंचाई 18 मीटर (54 फीट) है। यह जलप्रपात चितौड़गढ़ जिले में स्थित राणा प्रताप सागर बांध और भैंसरोडगढ़ के मध्य रावतभाटा में स्थित है। यहाँ रावतभाटा के पास चम्बल नदी अधिक सकरी हो जाती है, जिसे चम्बल घाटी कहते है। इस घाटी की चट्टानों को चुड़ीनुमा आकृति में काटा गया है, जिससे पानी बहकर जलप्रपात का निर्माण करता है, इसलिए इसे चूलिया जलप्रपात कहते है।
यह जलप्रपात बडी चट्टानों से घिरा होने के कारण पर्यटकों और फोटोग्राफरो को काफी आकर्षित करता है। बारिश के मौसम में तो यह दृश्य और भी लुभावना हो जाता है, क्योंकि झरने की आवाज़, चहकते हुए पक्षी और आपके चारों तरफ की प्राकृतिक सुंदरता आपको विहंगम दृश्य का नजारा देखने को मिलता है।
चूलिया जलप्रपात कोटा शहर से लगभग 50 किमी. दूर रावतभाटा (चितौड़गढ़) में स्थित है। चूलिया जलप्रपात से लगभग 1.5 किमी. दूर भैंसरोड़गढ़ दुर्ग है, जिसे ‘राजस्थान का वेल्लोर’ कहते है। चूलिया जलप्रपात के पास में ही क्रोकोडाइल पॉइंट है , जहां सर्दियों में मगरमच्छ धूप सेकने के लिए यहाँ इकट्ठे होते है, जिनको देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते है।
भील बेरी झरना किस जिले में है –
भील बेरी झरना राजस्थान के पाली जिले के भगाेड़ा गाँव में स्थित है, जो की राजसमंद और पाली जिलों की सीमा रेखा के पास है। हालाँकि इस झरने को वन विभाग की ओर से राजसमंद जिले में अरावली टाॅडगढ़-रावली सेंचुरी में शामिल किया गया है। भील बेरी झरने के नाम की उत्पत्ति स्थानीय भील जनजाति के आधार पर मानी गई है। यह कामलीघाट से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है।
भील बेरी जलप्रपात किस नदी पर है –
भील बेरी जलप्रपात किसी भी नदी पर नहीं है, क्योंकि इस जलप्रपात में पानी केवल बारिश के दिनों में राजसमंद-पाली की अरावली की पहाड़ियों से आता है। यह झरना बारहमासी नहीं है, चितौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में स्थित चूलिया जलप्रपात एक बाहरमासी जलप्रपात है, क्योंकी यह जलप्रपात राजस्थान की बारहमासी नदी चम्बल नदी पर स्थित है।
पाली जिले में स्थित भील बेरी झरना को फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में दिखाया गया है, यह अधिक ऊंचाई से गिरने के कारण दूध जैसा श्वेत दिखाई देता है, इसलिए इसे दूध सागर भी कहते है। यहां टूरिस्ट को मावली-मारवाड़ जंक्शन के बीच में पड़ने वाले गोरमघाट में रेल सफारी का काफी सुहावना अनुभव होता है। यह बारिश के दिनों में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे सुहावने वातावरण का एहसास करवाता है।
दमोह जलप्रपात किस जिले में है –
दमोह जलप्रपात राजस्थान के धौलपुर जिले के सरमथुरा कस्बे से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित एक प्राकृतिक जलप्रपात है। यह जलप्रपात लगभग 100 फीट ऊंचा है और धौलपुर के घने जंगलों के बीच स्थित है। दमोह जलप्रपात एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है और हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
दमोह जलप्रपात का नाम इस स्थान के पास स्थित एक गांव के नाम पर रखा गया है। इस जलप्रपात तक पहुंचने के लिए, पर्यटकों को पहले सिरमथुरा कस्बे तक पहुंचना होगा। सिरमथुरा से, दमोह जलप्रपात तक पहुंचने के लिए एक छोटा सा पैदल ट्रेक है।
दमोह जलप्रपात किस नदी पर है –
दमोह जलप्रपात किसी भी नदी पर नहीं है, हालाँकि इस जलप्रपात का पानी चम्बल नदी में जाकर मिलता है। यह झरना बारिश के पानी और बैराज के पानी से मिलकर बनता है। दमोह जलप्रपात एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल भी है। यहां पर्यटक परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक का आनंद ले सकते हैं। जलप्रपात के नीचे एक छोटा सा तालाब है जहां पर्यटक तैराकी और अन्य जल गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
दिर जलप्रपात किस नदी पर है –
दिर जलप्रपात कांकुड़ नदी पर स्थित है, जो भरतपुर जिले में बहती है। दिर जलप्रपात राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना तहसील के दर वराहना गांव के पास स्थित एक प्राकृतिक जलप्रपात है। इसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट है। दिर जलप्रपात एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है जहाँ हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
राजस्थान के जलप्रपात List (एक नजर में)
जलप्रपात | जिला | नदी |
चूलिया | चितौड़गढ़ | चम्बल |
भीमलत | बूँदी | मांगली |
मेनाल | बेगू (चित्तौड़गढ़) | मेनाल |
भील बेरी | पाली | – |
दमोह | धौलपुर | – |
अरणा-जरणा | जोधपुर | – |
पांडुपोल | अलवर | – |
दिर | भरतपुर | कांकुड़ |
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