मंदाकिनी बावड़ी राजस्थान में तीन जगहों पर बनी हुई है, क्योंकि इस बावड़ी को मंदाकिनी कुण्ड भी कहते है, जो निम्नलिखित स्थानों पर स्थित है – (1) सिरोही जिले के अचलगढ़ दुर्ग में मंदाकनी कुंड स्थित है, जिसका उपयोग तीर्थयात्री कार्तिक पूर्णिमा, चेत्र पूर्णिमा और वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने के लिए करते हैं।
(2) प्रतापगढ़ जिले के अरनोद तहसील के गोतमेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मंदाकनी कुण्ड बना हुआ है, यहाँ 7 दिन का मेला भरता है, इस मेले में आए श्रद्धालु मंदाकिनी कुण्ड में डुबकी लगाकर मंगलेश्वर व गौतमेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करते है। इस कुंड में डुबकी लगाने के बाद लोग पाप मुक्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करके फिर से अपने समाज में स्थान पा सकते है।
(3) चित्तौड़गढ़ जिले के चित्तौड़गढ़ किले के भीतर मंदाकिनी बावड़ी स्थित है, जिसे गौमुख कुण्ड या सास बहू एव मंदाकनी कुण्ड के नाम से भी जाना जाता है। यह बावड़ी 15वीं शताब्दी में राणा सांगा के शासनकाल में बनाई गई थी। मंदाकिनी बावड़ी का निर्माण राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का मिश्रण है। यह बावड़ी अपनी सुंदरता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। मंदाकिनी बावड़ी चित्तौड़गढ़ किले के महासती अहाते के दक्षिण में स्थित है।
ईदगाह की बावड़ी कहां स्थित है –
ईदगाह की बावड़ी राजस्थान में जोधपुर जिले के मंडोर में स्थित है। इसके अलावा ईदगाह की बावड़ी हैदराबाद में क़ुतुब शाही मकबरा के पास में भी स्थित है। ईदगाह बावली का निर्माण 16वीं शताब्दी में मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया था। यह बावड़ी क़ुतुब शाही मकबरों के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों से बनी है।
बावड़ी के चारों ओर एक गलियारा है, जिसमें गुंबद और मेहराबों की एक श्रृंखला है। बावड़ी के अंदर एक जलाशय है, जो एक फव्वारे से जुड़ा हुआ है। यह बावड़ी एक वर्गाकार आकार की है और इसका निर्माण सफेद संगमरमर पत्थर से किया गया है।
काका जी की बावड़ी कहां स्थित है –
काका जी की बावड़ी राजस्थान में बूँदी जिले के इंद्रगढ़ में स्थित है। (RSMSSB वनरक्षक भर्ती परीक्षा 13/11/2022 पेपर कोड 130C के Q. 87 के Final Answer Key के अनुसार)। काकाजी की बावड़ी का निर्माण सरदार सिंह की पत्नी महारानी आली ने करवाया था। यह बावड़ी जल स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है।
बूंदी जिले को बावड़ियों का शहर कहते है, यहाँ की अन्य बावड़िया निम्नलिखित है – डूमरा बावड़ी, डहरी बावड़ी, शुक्ल बावड़ी, चतरा धाबाई बावड़ी, कलाजी देवपुरा की बावड़ी, चौदशाह चौकी की बावड़ी, सिलोर व्यास बावड़ी, सिसोला पनघट की बावड़ी, डाटून्दा बावड़ी, खजुरी बावड़ी, बागेश्वर माता की बावड़ी, रामगंज बालाजी की बावड़ी, खोड़ी की बावड़ी, गणेश बाग की बावड़ी और हीराखाती की बावड़ी
बाई जी की बावड़ी कहां स्थित है –
बाई जी की बावड़ी भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा कस्बे में स्थित है, इसके अलावा चोखी बावड़ी, तस्यरिया बावड़ी, भिनाय की बावड़ी, चमना बावड़ी और सीताराम जी की बावड़ी भी भीलवाड़ा जिले में स्थित है। रानी जी की बावड़ी बूंदी जिले में स्थित है।
बाई जी की बावड़ी अपनी सुंदरता और कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध है। इस बावड़ी की दीवारों पर पच्चीकारी का काम किया गया है। बावड़ी के चारों ओर एक सुंदर बगीचा भी है। बाई जी की बावड़ी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
राजस्थान की सबसे बड़ी बावड़ी जो जोधपुर में स्थित है –
राजस्थान की सबसे बड़ी बावड़ी चाँद बावड़ी है, जो जोधपुर में स्थित है, लेकिन इस बावड़ी की हालत ठीक नहीं है, क्योंकि इसके ऊपर मिट्टी जमी हुई है और इसमें गंदा पानी एकत्रित होता है। इसलिए राजस्थान की सबसे बड़ी बावड़ी दौसा जिले के आभानेरी गाँव में स्थित चाँद बावड़ी को माना जाता है। प्राचीन काल में चाँद बावड़ी जोधपुर शहर की एक प्रमुख भूमिगत जल स्रोत रही है। जोधपुर जैसे मरुस्थलीय क्षेत्र में इस बावड़ी का बहुत अधिक महत्व था, जहां वर्षा न्यूनतम होती थी।
जोधपुर में अनेक स्थानों पर बावड़ियां हैं, किंतु सर्वाधिक बावड़ियां चांदपोल दरवाजे से सूरसागर तक के क्षेत्र में स्थित हैं, क्योंकि यह क्षेत्र चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और इस क्षेत्र में अनेक जलाशय पाए जाते है, जिनके कारण भूमिगत जल स्तर पर्याप्त बना रहता है। चांदपोल में धारी बावड़ी, राम बावड़ी, रघुनाथ बावड़ी, नैनसिंह जी की बावड़ी, नई बावड़ी, खरबूजा बावड़ी, पुरोहित जी की बावड़ी, तूरजी का झालरा, क्रिया का झालरा, नवलखा बावड़ी, तापी बावड़ी, सूरसागर बावड़ी, गोरिंदा बावड़ी, नई सड़क बावड़ी, मंडोर बावड़ी और ईदगाह बावड़ी
झालीबाब बावड़ी कहां स्थित है –
झालीबाब बावड़ी राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग में स्थित है, यह बावड़ी कुम्भलगढ़ के पहले द्वार पांडुपोल के पास स्थित है। इस बावड़ी का नाम झाली रानी के नाम पर रखा गया है, जो की महाराणा उदयसिंह की रानी थी। इस बावड़ी के दो मार्ग है, जिसमें गणेश जी और देवी माँ की मूर्ति लगी हुई है। उल्लेखनीय है की महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में ही हुआ था।
नाचन की बावड़ी कहां स्थित है –
नाचन की बावड़ी अजमेर जिले के गेगल के नजदीक अशोक उद्यान परिसर में बनी हुई है, यह बावड़ी अंतिम हिन्दू राजा पृथवी राज चौहान के काल में बनवाई गई थी। इतिहासविदों के अनुसार इस बावड़ी में पानी निकलने पर यहाँ के लोगों में खुशी और उल्लास इतना था कि लोग बावड़ी में ही नाचने लगे। कहा जाता है कि इसी कारण इस बावड़ी का नाम नाचन बावड़ी पड़ा।
यह बावड़ी स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है। हालाँकि इस बावड़ी में अब नाममात्र का भी पानी नहीं है, लेकिन यह उस समय के जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्य का अद्भुत नमूना है। हाल ही में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत नाचन बावड़ी का जीर्णोद्धार किया गया है।
केला बावड़ी कहां स्थित है –
केला बावड़ी राजस्थान के अजमेर जिले के बांदनवाड़ा के तारामगरी में स्थित है, जिसका मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत जीर्णोद्धार किया गया है। केला बावड़ी के चारों ओर खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य है और यह एक पिकनिक स्थल के रूप में लोगों के बीच मशहूर है।
अनार बावड़ी कहां स्थित है –
अनार बावड़ी बूँदी जिले के छतरपुरा में स्थित है। इस बावड़ी का निर्माण 17वी-18वीं सदी में रानी नाथावतजी की दासी अनारकली ने कराया था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसका निर्माण रानी चुंडावत हरवाली बड़ीरानीजी ने सन 1705 ई. में राव राजा छत्रसाल के शासनकाल में करवाया था।
राजस्थान की महत्वपूर्ण बावड़ियां List
बावड़ी | संबंधित स्थान |
राजा जी की बावड़ी | बारां |
दूध बावड़ी | माउंट आबू |
भावल देवी की बावड़ी | टोंक |
एक चट्टान बावड़ी | मंडोर (जोधपुर) |
वीरपुरी बावड़ी | उदयपुर |
झाझीरामपुरा का कुंड | बसवा (दौसा) |
पन्ना मीणा की बावड़ी | आमेर (जयपुर) |
लाभू जी कटला की बावड़ी | बीकानेर |
गौ मुख कुंड | चितौड़गढ़ |
गंगोद भेद कुंड | आहड़ (उदयपुर) |
खातान की बावड़ी | चितौड़गढ़ |
नागर सागर कुंड | बूंदी |
बीनोता की बावड़ी | सादड़ी (पाली) |
चार घोड़ों की बावड़ी | जोबनेर (जयपुर) |
आलुडा का कुबानियां कुंड | लालसोट (दौसा) |
धाबाई की बावड़ी | बूंदी |
जच्चा की बावड़ी | हिंडौन सिटी (करौली) |
तुअर जी का झालरा | जोधपुर |
चेतनदास की बावड़ी | लोहागर्ल (झुंझुनू) |
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