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राजस्थान का सबसे बड़ा कंजर्वेशन रिजर्व कौन सा है ?

वर्तमान में (जनवरी 2023 तक) राजस्थान का सबसे बड़ा कंजर्वेशन रिजर्व बारां जिले में स्थित शाहबाद कंजर्वेशन रिजर्व है, जिसका क्षेत्रफल  189.39 वर्ग किमी. है। शाहबाद के जंगल को 28 अक्टुम्बर 2021को राजस्थान का 15 वां कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था। राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा कंजर्वेशन रिजर्व भी बारां जिले में स्थित शाहाबाद तलहटी कंजर्वेशन रिजर्व है, जिसकी क्षेत्रफल 178.84 वर्ग किमी. है। इसको 1 सितम्बर 2022 को राजस्थान का 17 वां कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था। 

शाहबाद के जंगल में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ जैसे महुआ, सालर, पलाश, गुरजन, खैर, बिल्बपत्र, अचार सहित 802 प्रकार के पेड़ पाये जाते है। वन्य जीवों में यहाँ मुख्यत पैंथर, भालू, गिद्ध, लोमड़ी, भेड़िया, चीतल, खरगोश, सांभर और हायना देखने को मिलते है।      

राजस्थान का सबसे बड़ा कंजर्वेशन रिजर्व

राजस्थान का सबसे छोटा कंजर्वेशन रिजर्व कौन सा है ?

राजस्थान का सबसे छोटा कंजर्वेशन रिजर्व जयपुर जिले में स्थित बीड़ मुहाना कंज़र्वेशन रिज़र्व – B  है, जिसका क्षेत्रफल मात्र 0.10 वर्ग किमी. है। बीड़ मुहाना कंज़र्वेशन रिज़र्व – B को 6 अक्टुम्बर 2023 को राजस्थान का 34 वां कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था। इस कंजर्वेशन रिजर्व में मुख्यत: काले हिरण पाए जाते है। इसके अलावा यहां नीलगाय, लोमड़ी, नेवला, तीतर, मोर, खरगोश, पाटागोह, व कोयल भी पाए जाते हैं। 

इससे पहले सबसे छोटा कंज़र्वेशन रिज़र्व नागौर जिले में स्थित रोटू कंज़र्वेशन रिज़र्व था, जिसका क्षेत्रफल 0.72 वर्ग किमी. था। इस अभयारण्य का नाम रोटू गांव के नाम पर रखा गया है, जो अभयारण्य के अंदर स्थित है। रोटू कंजर्वेशन रिजर्व एक प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ वन्यजीव संरक्षण का महत्वपूर्ण केंद्र है और यह जैव विविधता की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान करता है।

राजस्थान में वन्य जीवों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य 

राजस्थान में सर्वाधिक कंजर्वेशन रिजर्व बारां जिले में 7 है।   

नए जिले केकड़ी में 2 कंज़र्वेशन रिज़र्व हो गए है। 

राजस्थान में विश्नोई समाज वन और वन्य जीवों की रक्षा करता है। 

राजस्थान के प्रसिद्ध वन्य जीव प्रेमी स्व: कैलाश सांखला का जन्म जोधपुर में हुआ था। इन्हे ‘टाइगर मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। 

राजस्थान में ऊँट और मोर को राज्य धरोवर घोषित किया गया है। 

प्रदेश में गिद्धों के सरंक्षण और संवर्द्धन के लिए रेस्क्यू सेंटर की स्थापना जोधपुर में की गई है। 

राजस्थान के हनुमानगढ़, बीकानेर और गंगानगर जिलों में सबसे पहले एमू फार्मिंग शुरू हुई है। 

राजस्थान के उदयपुर जिलें में सर्वाधिक संख्या में वन्य जीव अभ्यारण्य है।    

पैंथरों के सरंक्षण के लिए पहली बार पैंथर परियोजना झालाना (राजस्थान) में शुरू की गई।

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