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राजस्थान के वनों से संबंधित टॉप 80 महत्वपूर्ण प्रश्‍न (Rajasthan ki Vanaspati Mcq Questions) | rajasthan ki van sampada quiz

इस आर्टिकल में राजस्थान के वनों का प्रकार, वनों से संबंधित योजनाएँ, राजस्थान की नई वन नीति,  राजस्थान में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण वृक्ष, घास, ओषधियाँ से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्‍न (Rajasthan ki Vanaspati Mcq Questions) दिए गए है, जिन्हें आप Solve करके अपनी तैयारी जाँच सकते हैं तथा Answer गलत हो जाने पर उन प्रश्‍नो को Explanation & Short Notes द्वारा समझ सकते हैं।

Rajasthan ki Vanaspati Mcq Questions

Q.1 अर्जुन का वृक्ष प्रमुख रूप से ….. जिले में मिलता हैं – (REET Mains 25 -2 -2023)  

  1. झालावाड़
  2. जयपुर 
  3. जालौर 
  4. जैसलमेर 

Ans. 1. झालावाड़
Exp. – अर्जुन का वृक्ष मुख्यतः  झालावाड़ में पाया जाता है, इसके बाद यह उदयपुर, बांसवाड़ा, व कोटा जिले में भी  पाया जाता है। अर्जुन के पेड़ पर की जाने वाली कृत्रिम रेशम की खेती को टसर पद्धति कहते हैं। राजस्थान में टसर (कृत्रिम रेशम) विकास कार्यक्रम 1986 में कोटा, उदयपुर व बांसवाड़ा जिलों से प्रारंभ हुआ था। शहतूत के पेड़ पर भी रेशम के कीड़े पाले जाते हैं। 

Q.2 तेंदू के वृक्ष मुख्यत: कौनसे जिले मे पाये जाते है ?

  1. सिरोही 
  2. अलवर 
  3. राजसमंद 
  4. झालावाड़

Ans. 4. झालावाड़
Exp. – तेंदू/टीमरू के पत्ते का उपयोग बीड़ी बनाने में (सर्वाधिक टोंक व अलवर में) किया जाता है। इसके सर्वाधिक वृक्ष मध्यप्रदेश में पाये जाते है। राजस्थान में यह मुख्यत: झालावाड़, कोटा, बूंदी, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और चितोड़गढ़ जिलों में पाये जाते है। तेंदू को ‘वांगड़ का चीकू’ भी कहते है। इसका वानस्पतिक नाम – Disopyros Melanoxylon है। राजस्थान में तेंदू पत्ता का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1974 में करके ‘राजस्थान तेंदूपत्ता अधिनियम-1974’ पारित कर किया गया। 

Q.3 राजस्थान में चंदन के वृक्ष मुख्यत: पाये जाते है –

  1. बाँसवाड़ा में 
  2. चितोड़गढ़ में 
  3. कोटा और सवाईमाधोपुर में 
  4. राजसमंद और सिरोही में  

Ans. 4. राजसमंद और सिरोही में  
Exp. – राजस्थान में चंदन के पेड़ राजसमंद जिले के कुम्भलगढ़, हल्दीघाटी (खमनोर) क्षेत्र और सिरोही जिले के दिलवाड़ा क्षेत्र में पाए जाते हैं। चंदन वृक्ष का वानस्पतिक नाम Santalum album है। 

Q.4 खेजड़ी राजस्थान के अलावा किस राज्य का भी राज्य वृक्ष है –

  1. कर्नाटक 
  2. आंध्रप्रदेश 
  3. तेलंगाना
  4. मध्यप्रदेश 

Ans. 3. तेलंगाना

Q.5 ‘राजस्थान का अंगूर’ के उपनाम से कौन सा वृक्ष जाना जाता है –

  1. खींप 
  2. जाल 
  3. अर्जुन 
  4. खैर 

Ans. 2. जाल
Exp. – जाल वृक्ष जसनाथी संप्रदाय में पूजनीय वृक्ष है, जाल के फलों को पिल्लू या राजस्थान का अंगूर के उपनाम से भी जाना जाता है। 

Q.6  राजस्थान में 1949-50 में वन विभाग की स्थापना की गई, उस समय राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र के कितने प्रतिशत भू-भाग पर वन थे – 

  • 7%
  • 9.6%
  • 11%
  • 13%

Ans. 13%
Exp. – वर्तमान में जनवरी 13, 2022 को जारी भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग, देहरादून की 17 वीं रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 9.6% भू-भाग पर वन है। भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग, देहरादून द्वारा प्रत्येक दो वर्ष के अंतराल के बाद वन रिपोर्ट जारी की जाती है। प्रथम रिपोर्ट 1987 में जारी की गई थी। भारत की ‘प्रथम राष्ट्रिय वन नीति, 1952’ के अनुसार प्रत्येक राज्य के कुल क्षेत्रफल के 33.33% भाग पर वन होने चाहिए। 

Q.7 भारतीय वन नीति के अनुसार अरावली पहाड़िया पर कितने प्रतिशत वनाच्छादित होने चाहिए –  (आर्थिक अन्वेषक 2018) 

  • 33%
  • 20%
  • 65%
  • 50%

Ans. 65%
Exp. – भारत में स्वतंत्रता के बाद 1952 में घोषित नई वन नीति के अनुसार देश में कम से कम 33% भू-भाग पर वन होने चाहिए, जिसके अंतर्गत मैदानी भागो पर 20% और पर्वतीय भागो में 60% भू-भाग पर वन होने चाहिए।

Q.8 राजस्थान में बुर घास सर्वाधिक पाई जाती है –

  1. जोधपुर 
  2. बीकानेर 
  3. सवाईमाधोपुर 
  4. बांसवाड़ा

Ans. 2. बीकानेर 
Exp. – राजस्थान में पाई जाने वाली सबसे सुगंधित घास बुर घास है, जो बीकानेर के श्रीडूंगर, कोलायत, देशनोक, नोखा और चूरू के सरदारशहर के आसपास पाई जाती है। इस घास से आसवन विधि द्वारा सुगंधित तेल निकाला जाता है। इसकी दो अन्य उपजाति ओलेवरी जोधपुर में तथा सुगनी जैसलमेर में पाई जाती है।  

Q.9 भरतपुर जिले में पाई जाने वाली घास नहीं है –

  1. मोथा 
  2. ऐंचा 
  3. कुट्टू 
  4. धामण 

Ans. 4. धामण 
Exp. – भरतपुर में मोथा नामक घास पाई जाती है, जिसका उपयोग पक्षियों द्वारा किया जाता है। केवलादेव (भरतपुर) में पाई जाने वाली ऐंचा घास ऐसी घास है, जिसमें उलझ कर पक्षी मर जाते हैं। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर) में पाई जाने वाली प्रमुख घास कुट्टू है, जो साइबेरियन सारस की पसंदीदा मानी जाती है। धामण घास  बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर और जैसलमेर क्षेत्रों में प्रचुरता से उगती है।

Q.10 चिरमी का पेड़ राजस्थान में सर्वाधिक कहां पाया जाता है?

  1. गंगानगर 
  2. बीकानेर 
  3. पाली 
  4. भीलवाड़ा

Ans. 3. पाली 
Exp. – चिरमी एक बेल/लता होती है, जिसकी फली से निकलने वाले बीजो से औषधि बनती है। यह जड़ पक्षपात रोगियों के लिए रामबाण औषधि के रूप में काम आती है। इसके अलावा यह जलन, कब्जी और बच्चों में मिर्गी रोग के उपचार में काम में ली जाती है। चिरमी को गूंजा व रत्ती के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पुराने समय में यह तौलने के काम में ली जाती थी। चिरमी बेल मुख्यत: पाली जिले के देसूरी के ग्रामीण क्षेत्रों और कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण में पायी जाती है। इसके अलावा यह पूर्वी राजस्थान में भी देखने को मिलती है। 
Source –  राजस्थान पत्रिका न्यूज – Link

Q.10 (a) चिरमी राज्य के कौन से क्षेत्र में मिलती है?  (REET Mains 1/3/2023) 

  1. पश्चिमी भरुस्थल 
  2. उत्तरी अर्थशुष्क 
  3. पूर्वी मैदान 
  4. हाड़ौती पठार

Ans. 3. पूर्वी मैदान 
Exp. – Q. 10 की व्याख्या देखे 

Q.11 राजस्थान में पलाश (ढाक) वृक्ष मुख्यत: कौनसे जिलों में पाया जाता है –

  1. सवाईमाधोपुर और अलवर 
  2. भीलवाड़ा और अजमेर 
  3. भरतपुर और धौलपुर 
  4. पाली और नागौर 

Ans. 1. सवाईमाधोपुर और अलवर 
Exp. – पलाश (ढाक) वृक्ष को जंगल की ज्वाला के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इनके फूलों का रंग लाल होता है। फाल्गुन के महीने में इसमें फूल आते हैं, जिनको पानी में गलाने से कुदरती केसरिया रंग प्राप्त होता है जो होली खेलने के काम आता है। पलास का पेड़ मुख्यत: सवाई माधोपुर, अलवर, राजसमंद, चितौड़गढ़, जयपुर और टोंक जिलों में पाया जाता है। पलाश को स्थानीय भाषा में खाखरा भी कहते हैं। आदिवासी क्षेत्रों में पानिया बनाने हेतु मुख्यत: पलाश का पत्ता उपयोग में लिया जाता है।    

Q.12 कौन सी घास राजस्थान के पश्चिमी जिलों में नहीं पाई जाती है – (JEN यांत्रिकी/विद्युत डिप्लोमा 2020) 

  1. लाणा  
  2. सेवण  
  3. धामण 
  4. करड़

Ans. 1. लाणा  
Exp. –  सेवण, बूर, मुरात, करड़, अंजल, सिरकानिया आदि घास के प्रकार है, जो सर्वाधिक पश्चिमी राजस्थान में पाई जाती है।

Q.13 धोकड़ा वृक्ष सर्वाधिक किस जिले में पाये जाते है ?

  1. अलवर 
  2. नागौर 
  3. करौली 
  4. कोटा

Ans. 3. करौली 
Exp. –  धोकड़ा वृक्ष की सर्वाधिक सघनता करौली जिले में है। इसके अलावा यह सवाई माधोपुर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, भरतपुर, अलवर, अजमेर और उदयपुर जिले में भी पाया जाता है। धोकड़ा वृक्षों का उपयोग जलावान लकड़ी तथा कोयला निर्माण में होता है। धोकड़ा का वानस्पतिक नाम ‘एनोजीस पंडुला’ है।  

Q.14 राजस्थान में सर्वाधिक वन किस प्रकार के पाये जाते है – 

  1. सागवान वन 
  2. धोकड़ा वन 
  3. सदाबहार वन 
  4. उष्ण कटिबंधीय कांटेदार वन 

Ans. 2. धोकड़ा वन 
Exp. –  शुष्क उष्ण कटिबंधीय धोक वन (dry tropical dhonk forest) या धोकड़ा वन कुल वनो का 58.11 प्रतिशत (सर्वाधिक) पाये जाते है। यह वन राजस्थान में अरावली के दोनों ओर सीकर, झुंझुनू, जालौर, जोधपुर, टोंक, सवाईमाधोपुर, करौली, जयपुर आदि जिलों में पाये जाते है। इस प्रकार के वनो का मुख्य वृक्ष धोकड़ा (अन्य – बबूल, खेजड़ी, रोहिड़ा, बेर, केर, थूहर, करुन) है।  

Q.15 ‘हरित राजस्थान योजना’ शुरू की गई थी – 

  • 2007 में 
  • 2009 में 
  • 2004 में 
  • 2002 में

Ans. 2009 में 
Exp. –  ‘हरित राजस्थान योजना’ की शुरुवात 18 जून 2009 से की गई थी, जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की राजकीय भूमि व निजी भूमि पर बड़े स्तर पर वृक्षारोपण करना था।   

Q.16 ‘वन धन विकास योजना’ राजस्थान में कब शुरू हुई – 

  1. अप्रैल 2018 
  2. जून 2019 
  3. दिसंबर 2020 
  4. अप्रैल 2021

Ans.  3. दिसंबर 2020 
Exp. –   ‘वन धन विकास योजना’ की शुरुआत 14 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ जिले से की गई। इस योजना को राजस्थान के जनजाति उपयोजना क्षेत्र (TSP), सहरिया एव माडा क्षेत्र के 8 जिलों में TRIFED द्वारा  लागु करने की घोषणा 22 दिसंबर 2022 को की गई। ये 8 जिले हैं – उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही, कोटा, बारां व झालावाड़। इनमें 555 वन-धन विकास केंद्र स्थापित किए जाएंगे।  

Q.17 ‘वन धन योजना’ राजस्थान सरकार द्वारा कब शुरू की गई – 

  1. अगस्त 2015 
  2. अक्टुम्बर 2016 
  3. मार्च 2018  
  4. जून 2019 

Ans.  1. अगस्त 2015 
Exp. –   ‘वन धन योजना’ को राजस्थान सरकार द्वारा बजट 2015-16 में घोषित किया गया तथा इस योजना को 17 अगस्त 2015 को मंजूरी दी गई। इस योजना का उद्देश्य रणथम्भोर, कुंभलगढ़, राष्ट्रीय मरू उद्यान, माउंट आबू और जवाई बांध जैसे संरक्षित क्षेत्रों के आसपास गाँवो में लोगों को वनोत्पाद द्वारा रोजगार उपलब्ध कराना और वनों और वनजीवों को सुरक्षा प्रदान कराना है। 

Q.18 ‘जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना’ कब शुरू की गई – 

  • 2016
  • 2018
  • 2019
  • 2021

Ans.  2016
Exp. –   ‘जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना’ राजस्थान के टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में 25 अक्टूबर 2016 से लागू की गई। इस योजना का उद्देश्य जलाऊ लकड़ी के लिए संरक्षित वनों पर निर्भरता कम करना और महिलाओं को चूल्हे के धुएँ से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा दिलाना है। इसके लिए टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के आसपास वाले ग्रामीणों को शत-प्रतिशत अनुदान पर एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान किए जाएंगे। 

Q.19 ‘अरावली वन-रोपण परियोजना’ कब शुरू की गई थी –  (अन्वेषक 2020) 

  • 1995-96
  • 2007
  • 1992-93
  • 2001-02

Ans.  1992-93
Exp. –  अरावली पर्वतमाला को पुन: हरा-भरा करने और मरुस्थल के विस्तार पर रोक लगाने के लिए ‘अरावली वन-रोपण परियोजना’ 1 अप्रैल 1992 से राजस्थान के 10 जिलों में जापान के OECF (Oversease Economics Co- operation Fund) के सहयोग से शुरू की गई थी। इस योजना का कार्य 31 मार्च 2000 को समाप्त हो गया है।

Q.20 वन विभाग द्वारा ‘घर-घर औषधि योजना’ कब शुरू की गई – 

  • 2019 
  • 2021  
  • 2022  
  • 2023 

Ans.  2021  
Exp. –   ‘घर-घर औषधि योजना’ 72 वें वन महोत्सव के अवसर पर 1 अगस्त 2021 से शुरू की गई तथा इसके द्वितीय चरण की शुरुआत 2 अक्टूबर 2021 से की गई। इस योजना के तहत 4 तरह की  प्रजातियां तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय और कालमेघ के 2-2 औषधीय पौधे (कुल 8 पौधे) आमजन को वन विभाग की पौधशाला से नि:शुल्क वितरित किए जाएंगे। इस योजना का नोडल विभाग वन विभाग है। 

यह भी पढ़े  – राजस्थान नवीनतम वन रिपोर्ट-2021 के टॉप 20 महत्वपूर्ण प्रश्‍न (MCQs)

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