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राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान, सबसे छोटा और सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है ?

राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान सवाईमाधोपुर जिले में स्थित ‘रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान’ है, जिसको 1 नवम्बर 1980 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। इससे पहले रणथम्भौर को 1955 में अभयारण्य घोषित किया गया था। यह सवाईमाधोपुर जिला मुख्यालय के समीप लगभग 282 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। यह रियासत काल में जयपुर के महाराजाओं का निजी शिकारगाह हुआ करता था। 

राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान

अप्रैल 1974 में इस राष्ट्रीय उद्यान में राजस्थान का पहला टाइगर प्रोजेक्ट शुरू किया गया।  इस अभयारण्य में भारत की सबसे अधिक उम्र की मछली बाघिन का अवलोकन सर्वाधिक लोगों ने किया, जिसे झालरा वाली बाघिन के नाम से जाना जाता है। राजस्थान का दूसरा राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर जिले में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी विहार) है, जिसे 27 अगस्त 1981 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।  

राजस्थान में 5 राष्ट्रीय उद्यान कौन-कौन से हैं

यह प्रश्न गूगल पर बहुत लोग सर्च करते है, लेकिन राजस्थान में वर्तमान में (वर्ष 2023 तक) केवल 3 राष्ट्रीय उद्यान घोषित किये गए है, जो निम्न प्रकार है –
(1) रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान
(2) केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी विहार)
(3) मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान
ध्यान रहे जैसलमेर-बाड़मेर जिलों में स्थित ‘राष्ट्रीय मरू उद्यान’ केवल नाम मात्र का राष्ट्रीय उद्यान है, इसे अभी तक राष्ट्रीय उद्यान घोषित नहीं किया गया है। इसके अलावा सरिस्का भी एक अभयारण्य व टाइगर प्रोजेक्ट है, इसी भी अभी तक राष्ट्रीय उद्यान घोषित नहीं किया गया है।

राजस्थान का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है – 

राजस्थान का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर जिले में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी विहार) है, जिसका क्षेत्रफल मात्र 28.73 वर्ग किमी. है। यह एक मात्र अभयारण्य है, जो मैदानी क्षेत्र  में स्थित है।  इस उद्यान को  अभयारण्य के रूप में 1956 में स्थापना की गई थी।  यह राष्ट्रीय उद्यान एशिया की सबसे बड़ी पक्षियों की प्रजनन स्थली है, अतः से ‘पक्षियों का स्वर्ग’ कहते हैं। इसी कारण इसको यूनेस्को द्वारा 1985 में  विश्व के प्राकृतिक धरोहर में शामिल किया गया। 

राजस्थान का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान

 इस अभयारण्य का निर्माण भरतपुर के तत्कालीन शासक किशन सिंह ने स्विट्जरलैंड की झीलों के आधार पर करवाया था। इसे विश्व के 10 शीर्ष अभयारण्यों में शामिल है।  इस उद्यान में जलापूर्ति के लिए बाणगंगा नदी पर निर्मित अजान बांध से पानी आता है। अजान बांध के सूखा रहने पर पांचना बांध से अजान बांध में पानी की सप्लाई की जाती है।  बजट 2021-22 के अनुसार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के महत्व को देखते हुए इसे Birds Habitat Conservation Centre के रूप में विकसित किया जाएगा। 

राजस्थान का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है – 

राजस्थान का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान ‘रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान’ है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 282 वर्ग किमी. है। यह उद्यान दुर्लभ काला गरुड़ और  रेटेड तीतर (लाल सिर वाले तोते) के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर महाराजा माधव सिंह नवनिर्मित जोगी महल, भारत का एकमात्र त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर का किला, कुकुर घाटी में निर्मित कुत्ते की छतरी आदि महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है।  

राजस्थान का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान

यहां पर 1960 में एलिजाबेथ, 1985 में राजीव गांधी, 2000 में बिल क्लिंटन तथा 2005 में मनमोहन सिंह घूमने आ चुके हैं। इस उद्यान के दक्षिण में चंबल तथा उत्तर में बनास नदी बहती है। यह उद्यान अरावली और विंध्याचल पर्वतमालाओं के संगम स्थित है। इस उद्यान में ‘बाघ संरक्षण फाउंडेशन’ का गठन दिनांक 25 फरवरी 2010 को किया जा चुका है। 

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