राजस्थान सरकार ने सूरतगढ़ तापीय विद्युत गृह व छबड़ा तापीय विद्युत गृह में 2-2 सुपर क्रिटिकल इकाइयों (660-660 मेगावाट की) के लिए 2 मार्च 2009 में स्वीकृति दी थी। सबसे पहले छबड़ा तापीय विद्युत गृह में 2 सुपर क्रिटिकल इकाइयों से वाणिज्यिक उत्पादन वर्ष 2018 और 2019 में शुरू किया गया, इसलिए राजस्थान का पहला सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट ‘छबड़ा तापीय विद्युत गृह’ है। इसके बाद सूरतगढ़ तापीय विद्युत गृह में 2 सुपर क्रिटिकल इकाइयों से वाणिज्यिक उत्पादन वर्ष 2020 और 2021 में शुरू किया गया।
अतिरिक्त जानकारी 👇
राजस्थान का पहला अल्ट्रा सुपर थर्मल पावर प्लांट कौनसा है?
राजस्थान का पहला अल्ट्रा सुपर थर्मल पावर प्लांट दानपुरा (बाँसवाड़ा) में निर्माणधीन है, जिसमे 800-800 MW की तीन इकाइयां स्थापित की जाएगी, जिनसे 2400 MW (3 x 800) बिजली का उत्पादन होगा। इसके अलावा 18 जुलाई, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बारां जिले के छबड़ा में 6 करोड़ रुपए लागत की 660-660 मेगावाट क्षमता की 2 अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल तकनीक आधारित इकाइयाँ और झालावाड़ के कालीसिंध में 800 मेगावाट क्षमता की 1 अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल तकनीक आधारित इकाई स्थापित करने की मंजूरी प्रदान की।
सुपर थर्मल, क्रिटिकल सुपर थर्मल और अल्ट्रा सुपर थर्मल पावर प्लांट में अंतर
किसी पॉवर प्लांट की उत्पादन क्षमता 1000 MW से अधिक होने पर वह प्लांट ‘सुपर पॉवर प्लांट’ कहलाता है, प्लांट की एक इकाई की उत्पादन क्षमता 500 MW से अधिक होने पर वह प्लांट ‘सुपर क्रिटिकल पॉवर प्लांट’ कहलाता है तथा प्लांट की एक इकाई की उत्पादन क्षमता 800 MW से अधिक होने पर वह प्लांट ‘अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल पॉवर प्लांट’ कहलाता है। क्रिटिकल सुपर थर्मल की दक्षता (effciency) सुपर थर्मल से अधिक होती है तथा अल्ट्रा सुपर थर्मल की दक्षता, क्रिटिकल सुपर थर्मल प्लांट से अधिक होती है।
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