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राजस्थान की जलवायु (Rajasthan ki jalvayu) | कोपेन, थॉर्नवेट और ट्रिवार्था के जलवायु वर्गीकरण – महत्वपूर्ण प्रश्‍न (Mcqs), Questions और Map

इस आर्टिकल में राजस्थान की जलवायु (Rajasthan ki jalvayu) का वर्गीकरण, राजस्थान में मानसून की स्थिति, समताप & समदाब रेखाएं,अरावली की स्थिति से संबंधित तथ्य, पश्चिमी विक्षोभ, कोपेन, थॉर्नवेट और ट्रिवार्था के जलवायु वर्गीकरण से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्‍न (Mcqs) दिए गए हैं, जिन्हें आप Solve करके अपनी तैयारी जाँच सकते हैं तथा Answer गलत हो जाने पर उन प्रश्‍नो को Explanation & diagram (Map) द्वारा समझ सकते हैं।

राजस्थान की जलवायु (Rajasthan ki jalvayu)

राजस्थान की जलवायु से संबंधित महत्वपूर्ण Facts और Mcqs

Q.1 राजस्थान जलवायु की दृष्टि से किस कटिबंध में स्थित है?

  1. उष्ण कटिबंध 
  2. शीतोष्ण कटिबंध 
  3. उपोष्ण कटिबंध 
  4. शीत कटिबंध

Ans. 3. उपोष्ण कटिबंध
Exp. – भारत की जलवायु उष्ण कटिबंध में स्थित है, डूंगरपुर और बांसवाड़ा की जलवायु भी उष्ण कटिबंध में स्थित है (कर्क रेखा के दक्षिणी में होने के कारण) जबकी राजस्थान की जलवायु शुष्क से उप-आद्र या उष्ण-शीतोष्ण या उपोष्ण या उष्ण-आद्र (Subtropical) प्रकार की है।

Q.2 निम्न में से जलवायु से प्रभावित होने वाला कारक नहीं है?

  1. जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व
  2. क्षेत्रीय आर्थिक विकास
  3. वनों की कटाई
  4. पशुपालन

Ans. 3. वनों की कटाई
Exp. – अधिक तापमान और कम तापमान वाले क्षेत्रों में मध्यम तापमान वाले क्षेत्रों की तुलना में जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व कम होता है। इसी प्रकार क्षेत्रीय आर्थिक विकास, सिंचाई, कृषि का स्वरूप, कृषि उद्योग का प्रारूप, उत्पादकता और पशुपालन भी जल की उपलब्धता और प्राकृतिक वनस्पति (i.e जलवायु) पर निर्भर होते हैं।

Q.3 पश्चिमी राजस्थान में तापमान की अतिशयता का प्रमुख कारण है?

  1. धरातल का स्वभाव
  2. समुद्र से दूरी
  3. सूर्यताप की अधिक मात्रा
  4. अरावली की स्थिति

Ans. 1. धरातल का स्वभाव
Exp. – पश्चिमी राजस्थान में रेतीली भूमि तथा वनस्पति आवरण कम होने के कारण वहाँ रेत अधिक जल्दी गर्म व ठंडी होती है।

Q.4 अरावली के पश्चिम में किस प्रकार की जलवायु नहीं है?

  1. न्यून वर्षा
  2. उच्च दैनिक तापमान
  3. धीमी हवाओ से युक्त शुष्क जलवायु
  4. उच्च वार्षिक तापमान

Ans. 3. धीमी हवाओ से युक्त शुष्क जलवायु
Exp. – अरावली के पश्चिम में उच्च दैनिक तापमान, उच्च वार्षिक तापमान, न्यून वर्षा, निम्न आद्रता तथा तीव्र हवाओ से युक्त शुष्क जलवायु पाई जाती है, जबकी अरावली के पूर्व में वर्षा की मात्रा में वृद्धि होती जाती है साथ ही हवाओ की गति में कमी होती जाती है। इसलिए सर्वाधिक आँधीयां श्रीगंगानगर जिले में तथा न्यूनतम आँधीयां झालावाड़ जिले में आती है।

Q.5 राजस्थान की जलवायु किस प्रकार की है?

  1. उष्ण  
  2. शीतोष्ण 
  3. शुष्क से उप-आर्द्र
  4. शीत 

Ans. 3. शुष्क से उप-आर्द्र
Exp. – भारत की जलवायु उष्ण कटिबंध में स्थित है, डूंगरपुर और बांसवाड़ा की जलवायु भी उष्ण कटिबंध में स्थित है (कर्क रेखा के दक्षिणी में होने के कारण) जबकी राजस्थान की जलवायु शुष्क से उप-आद्र या उष्ण-शीतोष्ण या उपोष्ण या उष्ण-आद्र (Subtropical) प्रकार की है।

Q.6 राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक में से निम्न में से कौन सा नहीं है?

  1. वनस्पति
  2. मिट्टी की लवणता
  3. मरुस्थल
  4. अरावली पर्वत श्रृंखलाओं की स्थिति

Ans. 2. मिट्टी की लवणता
Exp. – राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है –  राजस्थान की अक्षांश की स्थिति, समुद्र से दूरी, समुद्र तल से ऊंचाई, मरुस्थल का होना, अरावली पर्वत श्रृंखलाओं की स्थिति, प्राकृतिक वनस्पति, मानसूनी एवं चक्रवातीय हवाएं।

Short Notes
राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है –
 राजस्थान की अक्षांशीय स्थिति – राजस्थान की अक्षांश की स्थिति के कारण यहाँ की जलवायु उपोष्ण प्रकार की है।
 समुद्र से दूरी – राजस्थान समुद्र से दूर स्थित है। अरब सागर का समुद्र तट लगभग 350 किलोमीटर दूर है। अतः राजस्थान की जलवायु में नमी अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे जलवायु गर्म और शुष्क रहती है।
समुद्र तल से ऊंचाई – समुद्र तल से ऊंचाई तापमान एवं आर्द्रता को प्रभावित करती है क्योंकि प्रति 165 मीटर की उंचाई पर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान घटता है।
अरावली पर्वत श्रृंखलाओं की स्थिति – अरावली की स्थिति दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के समानांतर होने के कारण पश्चिमी राजस्थान में वर्षा नहीं होती है, लेकिन दूसरी ओर अरावली पर्वत श्रंखला पश्चिम से आने वाली गर्म हवाओं से पूर्वी राजस्थान को बचाने में सहायक है।
मरुस्थल – राजस्थान के पश्चिमी थार मरुस्थल स्थित है, जो गर्मियों में अत्यधिक गर्म तथा सर्दियों में अधिक ठंडा हो जाता है।
मानसूनी एवं चक्रवातीय हवाएँ – ग्रीष्म काल में राजस्थान में अरब सागरीय मानसून से 10% तथा बंगाल की खाड़ी मानसून से 90% वर्षा होती है तथा शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभ से लगभग 10% वर्षा होती है। इस प्रकार वर्षा में अनिश्चितता से जलवायु प्रभावित होती है।
प्राकृतिक वनस्पति – प्राकृतिक वनस्पति नहीं होने पर आर्द्रता कम होती है, जिससे वर्षा कम होती है। इस प्रकार वनो के निरंतर हो रहे विनाश का प्रभाव स्थानीय जलवायु पर स्पष्ट देखा जा सकता है।

Q.7 निम्नलिखित में से कौन-सा राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाला आधारभूत तत्व है? (पशुधन सहायक 2018) 

  1. समुद्र से दूरी 
  2. समुद्र तल से ऊंचाई 
  3. तापमान 
  4. वनस्पति

Ans. 3. तापमान 
Exp. – दिये गये सभी ऑप्शन जलवायु को प्रभावित करने वाले तत्व है, लेकिन तापमान इन में एक आधारभूत (fundamental) या मौलिक तत्व है, अर्थात समुद्र से दूरी, समुद्र तल से ऊंचाई तथा वनस्पति पर अप्रत्यक्ष रूप से तापमान का ही सिद्धांत लगता है, जैसे समुद्र तल से ऊंचाई बढ़ने पर तापमान कम होता जाता है।

Q.8 अरावली के पश्चिम में अल्प वर्षा होने का निम्न में से कौन सा एक कारण नहीं है?

  1. अरावली की ऊंचाई कम होना।
  2. अरावली का अरब सागरीय मानसून की दिशा के समानांतर होना।
  3. पश्चिमी राजस्थान में बालुका स्तूपो का अधिक होना
  4. अरावली पर वनस्पति आवरण का कम होना।

Ans. 3. पश्चिमी राजस्थान में बालुका स्तूपो का अधिक होना
Exp. – वर्षा होने के लिए आवश्यक यह है कि मानसून की दिशा में किसी प्राकृतिक अवरोध का होना चाहिये, जिससे मानसूनी हवाओं का अवरोध से टक्कराने पर वहां अधिक वर्षा हो, लेकिन अरावली की दिशा मानसून की दिशा के समानांतर है, साथ ही अरावली की ऊंचाई भी कम है। वर्षा अधिक होने के लिए वनस्पति आवरण अधिक होना चाहिए क्योंकि वहां आर्द्रता की मात्रा बढ़ जाती है। इसी कारण दक्षिणी भाग में अरावली की ऊंचाई अधिक होने एवं  सघन वनस्पति आवरण के कारण 100 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है।

Q.9 निम्नलिखित में से राजस्थान का कौन सा क्षेत्र मानसून के अरब सागर शाखा से अधिकतम वर्षा प्राप्त करता है? (Tech. Coll. Lect. 2021) 

  1. उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र 
  2. दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र 
  3. मध्य अरावली 
  4. पूर्वी क्षेत्र

Ans. 2. दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र 
Exp. – अरब सागरीय मानसून से पश्चिमी राजस्थान में वर्षा नहीं होती है क्योंकि अरावली की दिशा अरब सागरीय मानसून की दिशा के समानांतर हो जाती है, केवल दक्षिण तथा दक्षिणी पूर्वी क्षेत्रों (सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा तथा प्रतापगढ़) में ही बारिश होती है।

राजस्थान में मानसून

Q.10 अरब सागर मानसून के कारण राजस्थान के केवल दक्षिण एवं दक्षिण- पूर्वी भाग में ही वर्षा होती है, जिसका कारण है?

  1. दक्षिण एवं  दक्षिण -पूर्वी भाग में नदिया की संख्या अधिक है।
  2. दक्षिण  एवं दक्षिण पूर्वी भाग में घने जंगल है।
  3. दक्षिणी अरावली की ऊंचाई अधिक है।
  4. माही नदी के कारण दक्षिण में आर्द्रता अधिक है।

Ans. 3. दक्षिणी अरावली की ऊंचाई अधिक है।
Exp. – वर्षा होने के लिए आवश्यक यह है कि मानसून की दिशा में किसी प्राकृतिक अवरोध का होना चाहिये, जिससे मानसूनी हवाओं का अवरोध से टक्कराने पर वहां अधिक वर्षा होती है। लेकिन उत्तरी अरावली और मध्य अरावली की ऊंचाई कम और समांतर होने के कारण वहां वर्षा नहीं होती है लेकिन दक्षिणी अरावली की ऊंचाई अधिक होने के कारण वहाँ मानसून हवाएं अरावली से टक्कराकर दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी हिस्सों (सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा तथा प्रतापगढ़) में बारिश होती है।

Q.11 अरब सागरीय मानसून से राजस्थान में सर्वाधिक औसत वर्षा कौन से जिले में होती है?

  1. बांसवाड़ा 
  2. डूंगरपुर 
  3. उदयपुर 
  4. प्रतापगढ़

Ans. 1. बांसवाड़ा 
Exp. – अरब सागरीय मानसून राजस्थान में सर्वप्रथम 15 जून को बांसवाड़ा जिले से प्रवेश करता है, इसलिए बांसवाड़ा जिले को ‘मानसून का प्रवेश द्वार’ भी कहते हैं। दक्षिणी अरावली की ऊंचाई और वनस्पति आवरण अधिक होने के कारण अरब सागरीय मानसून से बांसवाड़ा जिले में सर्वाधिक औसत वर्षा होती है।

Q.11(a) निम्नलिखित में से किस कारण से राजस्थान के दक्षिणी भाग में वर्षा ऋतु में 100 सेमी से अधिक वर्षा होती है – (RPSC EO/RO 14/5/2023)

  1. अरावली पर कम ऊँचाई और कम वनस्पति 
  2. अरावली का विस्तार अरब सागर की मानसून की शाखा के सामानांतर है। 
  3. अधिक ऊँचाई और सघन वानस्पतिक आवरण 
  4. बंगाल की खाड़ी की मानसून की शाखा में अधिक नमी होती है। 

Ans. 3. अधिक ऊँचाई और सघन वानस्पतिक आवरण 
Exp. – राजस्थान के दक्षिणी भाग में अरावली की ऊँचाई और वनस्पति की सघनता अधिक है।  

Q.12 बंगाल की खाड़ी मानसून से राजस्थान में सर्वाधिक औसत वर्षा कौन से जिले में होती है?

  1. कोटा 
  2. बाँरा 
  3. झालावाड़ 
  4. सिरोही

Ans. 3. झालावाड़ 
Exp. – बंगाल की खाड़ी मानसून राजस्थान में 15 जुलाई के आसपास झालावाड़ जिले से प्रवेश करता है। बंगाल की खाड़ी मानसून से सर्वाधिक औसत वर्षा झालावाड़ जिले में होती है इसके बाद आर्द्रता में कमी और अरावली के वृष्टि छाया क्षेत्र के कारण पश्चिमी राजस्थान में वर्षा कम होती है।

Q.13 राजस्थान में वर्षा से संबंधित निम्न में से कौन सा कथन गलत है?

  1. राजस्थान में वर्षा पूर्व से पश्चिम की ओर घटती है। 
  2. राजस्थान में वर्षा दक्षिणी-पूर्वी से उत्तर-पश्चिम की ओर घटती है।
  3. राजस्थान में वर्षा की परिवर्तनशीलता पूर्व से पश्चिम की ओर घटती है।
  4. राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा की परिवर्तनशीलता जैसलमेर और जालौर जिले में पाई जाती है।

Ans. 3. राजस्थान में वर्षा की परिवर्तनशीलता पूर्व से पश्चिम की ओर घटती है।
Exp. – राजस्थान में बंगाल की खाड़ी के मानसून से सर्वाधिक वर्षा पूर्वी और दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में होती है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान में जाते-जाते आर्द्रता में कमी और अरावली की वृष्टि छाया क्षेत्र के कारण पश्चिमी राजस्थान में वर्षा कम होती है। जिन क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा कम होती है वहां वर्षा की प्रवर्तनशीलता अधिक होती है (क्योंकि प्रतिशत परिवर्तन अधिक होता है) अत: जिन क्षेत्रों में 100 सेमी या उससे अधिक वर्षा होती है वहां 25% से कम परिवर्तिता पाई जाती है, वहीं दूसरी ओर 50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में 50% से अधिक परिवर्तिता पाई जाती है। इस प्रकार राजस्थान के पश्चिमी भाग (जैसलमेर और जालौर में) सर्वाधिक वर्षा में परिवर्तिता पाई जाती है।

Q.14 आर्थिक समीक्षा 2021-22 के अनुसार मानसून सत्र 2021 में राजस्थान के कौन से जिलों में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई?

  1. जैसलमेर और बाड़मेर 
  2. चूरु और नागौर 
  3. गंगानगर और सिरोही
  4. पाली और जालौर

Ans. 3. गंगानगर और सिरोही
Exp. – राजस्थान में 1 जून से 30 सितंबर 2021 तक की समयावधि में 485.50 मिमी वास्तविक वर्षा दर्ज की गई जो कि सामान्य वर्षा 417.50 मिमी की तुलना में 17.10% अधिक रही। राजस्थान के अधिकांश जिलों में पूरे मानसून सत्र 2021 में असामान्य, सामान्य से अधिक या सामान्य वर्षा हुई है जबकि राजस्थान के गंगानगर और सिरोही जिलों में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई।

Q.15 राजस्थान में मानसून पूर्व की वर्षा को कहते हैं?

  1. आम्र वर्षा
  2. दोंगड़ा
  3. काल – बैसाखी
  4. नॉर्वेस्टर

Ans. 2. दोंगड़ा
Exp. – राजस्थान में मानसून पूर्व की वर्षा को दोंगड़ा कहते हैं, केरल और कर्नाटक में इसे आम्र वर्षा, पश्चिम बंगाल में काल बैसाखी, छोटा नागपुर पठार में नॉर्वेस्टर कहते हैं।

Q.16 राजस्थान में ‘पुरवाई’ से संबंधित सत्य कथन है?

  1. पश्चिमी राजस्थान में चलने वाली ‘लू’ को ‘पुरवाई’ कहते हैं?
  2. अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाओं को पुरवाई कहते हैं। 
  3. बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं को पुरवाई कहते हैं।
  4. शीतकाल में भूमध्य सागर से आने वाले पश्चिमी चक्रवातो को ‘पुरवाई’ कहते हैं।

Ans. 3. बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं को पुरवाई कहते हैं।
Exp. – राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा (90%) बंगाल की खाड़ी वाले मानसून से होती है। बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं को राजस्थान में पुरवाई/ अगुणी कहा जाता है जिसके कारण अरावली की पूर्वी भाग में अधिक वर्षा होती है।

Q.17 सर्वाधिक वज्र तूफान राजस्थान के कौन से जिलों में आते हैं?

  1. जैसलमेर – बाड़मेर 
  2. जयपुर – झालावाड़ 
  3. डूंगरपुर – बांसवाड़ा 
  4. श्रीगंगानगर – हनुमानगढ़

Ans. 2. जयपुर – झालावाड़ 
Exp. – राजस्थान के पूर्वी एवं दक्षिणी-पूर्वी भागों में जून-जुलाई के महीनों में आने वाली तूफानों को ‘वज्र तूफान’ कहते हैं। राजस्थान में सर्वाधिक वज्र तूफान झालावाड़ और जयपुर जिला में आते हैं।

Q.18 राजस्थान में औसत वर्षा होती है?

  • 48 से 52 सेमी
  • 63 से 67सेमी
  • 57 से 58 सेमी
  • 58 से 62 सेमी

Ans.   57 से 58 सेमी
Exp. – पूर्वी राजस्थान में औसत वर्षा 67.5 सेमी तथा पश्चिमी राजस्थान में औसत वर्षा 31.3 सेमी होती है। इस प्रकार राजस्थान में औसत वार्षिक वर्षा 58 सेमी/57.5 सेमी होती है। (जबकी भारत में औसत वर्षा 125 सेमी होती है।)

Q.19 राजस्थान का वह जिला, जिसमें औसत वर्षा सबसे अधिक होती है? (III grade teacher 2004)

  1. भरतपुर 
  2. बांसवाड़ा 
  3. झालावाड़
  4. सिरोही

Ans.   3. झालावाड़
Exp. – सर्वाधिक औसत वर्षा वाला जिला झालावाड़ (100 सेमी) है, जबकि सर्वाधिक औसत वर्षा वाला स्थान माउंट आबू (सिरोही)(150 सेमी) है।

Q.20 राजस्थान में सर्वाधिक दिनों तक वर्षा होती है?

  1. माउंट आबू में 
  2. झालावाड़ में 
  3. बांसवाड़ा में 
  4. प्रतापगढ़ में

Ans.  1. माउंट आबू में 
Exp. – वर्षा ऋतु में वर्षा होने वाली दिनों की संख्या सर्वाधिक 48 दिन माउंट आबू में हैं, इसके बाद जिला स्तर पर सर्वाधिक संख्या झालावाड़ में 40 दिन, बांसवाड़ा में 38 दिन तथा सबसे कम जैसलमेर में 5 दिन है।

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