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चम्बल नदी का अपवाह तंत्र – चंबल नदी राजस्थान के कितने जिलों में बहती है, चंबल नदी पर सबसे बड़ा बांध कौन सा है?

चम्बल नदी का अपवाह तंत्र/क्षेत्र (नक्शा) के अंतर्गत – यदि कोई नदी अपनी सहायक नदियों-सहित जिस क्षेत्र का जल लेकर आगे बढ़ती है, वह उसका प्रवाह क्षेत्र या नदी द्रोणी या जल अपवाह तंत्र कहलाता है। बंगाल की खाड़ी की ओर जल ले जाने वाली नदियों में राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण व सदा प्रवाहनी नदी चम्बल है। यह मध्यप्रदेश में महू के निकट जानापाव की पहाड़ियों से निकलकर राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में बहती हुई उत्तरप्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है।

चम्बल नदी का अपवाह तंत्र

चम्बल नदी को प्राचीन समय में कामधेनु के साथ-साथ चर्मण्वती नदी के नाम से भी जाना जाता था। राजस्थान में चम्बल नदी का अपवाह वृक्षाकार तंत्र में होता है। चम्बल नदी गहरी घाटी में बहुत तीव्रता से बहने के कारण इसे वाटर सफारी भी कहते है। चम्बल नदी बूँदी जिले में केशोरायपाटन के नजदीक सर्वाधिक गहरी है। यूनेस्को की विश्व धरोहर के लिए नामित एकमात्र नदी चम्बल है। चम्बल नदी राजस्थान में सर्वाधिक कंदराओं (गुफा) वाली नदी है। 

चंबल नदी राजस्थान के कितने जिलों में बहती है – 

चम्बल नदी राजस्थान के 7 जिलों में बहती है। राजस्थान में चम्बल नदी का अपवाह तंत्र चितौड़गढ़, कोटा, बूँदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर जिलों में है। राजस्थान में चम्बल नदी का प्रवेश चौरासीगढ़ (चितौड़गढ़) के समीप मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील से होता है। चौरासीगढ़ से आगे बढ़ने पर चम्बल नदी भैंसरोड़गढ़ (चितौड़गढ़) में बामनी नदी के साथ मिलकर 18 मीटर ऊँचे चूलिया जल प्रपात का निर्माण करती है।  

चंबल नदी राजस्थान

चम्बल नदी चितौड़गढ़ के रावतभाटा में प्रवेश करने के बाद वहाँ इस नदी पर राणाप्रताप सागर बाँध का निर्माण किया गया है। इसके बाद कोटा जिले में इस नदी पर जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज सिंचाई बांध का निर्माण किया गया है। कोटा जिले के नौनेरा गांव में चम्बल में काली सिंध नदी आकर मिल जाती है। सवाईमाधोपुर के पालिया गांव में इस नदी में पार्वती नदी आकर मिल जाती है। धौलपुर से बाहर निकलकर यह नदी मुरादगंज (इटावा-उतरप्रदेश) में यमुना नदी में मिल जाती है।    

चंबल नदी पर सबसे बड़ा बांध कौन सा है – 

चंबल नदी पर सबसे बड़ा बांध गांधीसागर बांध है, जो की राजस्थान में स्थित नहीं है अर्थात यह मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित है। चम्बल नदी पर स्थित राजस्थान का सबसे बड़ा बांध राणाप्रताप सागर बांध है, जो की राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में स्थित है। गांधीसागर बांध की ऊंचाई 62.17 मीटर (204.0 फीट) है तथा इसकी भण्डारण क्षमता 7.322 अरब घन मीटर है। यह एशिया का पहला मानव निर्मित बांध है। अर्थात इसमें किसी भारी मशीन का उपयोग नहीं किया गया है। 

चंबल नदी पर सबसे बड़ा बांध

गाँधीसागर बांध की आधारशिला पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 7 मार्च 1954 को रखी थी, जिसके बाद यह बांध वर्ष 1960 में बनकर तैयार हुआ। इस बांध में कुल 19 गेट है। इस बांध का निर्माणकर्ता प्रमुख ठेकेदार द्वारका दास अग्रवाल था, जिसने एशिया का सबसे सस्ता बांध बनाया। इस बांध के निचले हिस्से में 115-मेगावाट पनबिजली स्टेशन है, जिसमें 23-23 मेगावाट की पाँच इकाइयां है।   

चंबल नदी पर कितने बांध है – 

चंबल नदी पर कुल 4 बांध है, जिनमें से तीन बांध राजस्थान में स्थित है तथा एक मध्यप्रदेश में स्थित है। राजस्थान में स्थित तीन बांध राणाप्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज है। जबकि मध्यप्रदेश में स्थित बांध गांधीसागर बांध है। चम्बल नदी पर स्थित चारों बांधो में से तीन बांधो पर जल विद्युत पॉवर प्लांट है, जबकि कोटा बैराज बांध से केवल सिंचाई की जाती है।    

चंबल नदी पर बने बांध का क्रम

चम्बल नदी पर बने बांध का क्रम दक्षिण से उतर की ओर – गांधीसागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज है। चम्बल नदी मध्यप्रदेश में विंध्याचल श्रेणी की जानापाव पहाड़ियों से निकलकर जब मंदसौर जिले में प्रवेश करती है, तो उस पर सबसे पहले गाँधी सागर बांध बनाया गया है। इसके बाद चम्बल नदी जब राजस्थान के रावतभाटा में प्रवेश करती है, तो उस पर राणाप्रताप सागर बांध बनाया गया है। 

चंबल नदी पर बने बांध का क्रम

चम्बल नदी जब कोटा जिले में प्रवेश करती है तो उस पर कोटा जिले में जवाहर सागर बांध बनाया गया है। इसके बाद कोटा शहर में ही इस नदी पर कोटा बैराज बांध बनाया गया है। कोटा बैराज में कुल 13 गेट है। चम्बल नदी पर बने इन चारो बांधो का क्रम याद रखने की ट्रिक GR JK है (दक्षिण से उतर की ओर)

चंबल नदी की सहायक नदियां  – 

चंबल नदी की सहायक नदियां – कालीसिंध, परवन, आहू, बनास, अलनिया, पार्वती, बामणी, कुराल, मेज, सीप, कुनु और छोटी कालीसिंध है। चम्बल की सबसे बड़ी सहायक नदी बनास नदी है। 

चंबल नदी राजस्थान में कितने किलोमीटर बहती है – 

उपग्रह मैपिंग के अनुसार चंबल नदी राजस्थान में 322 किलोमीटर बहती है, जबकि चम्बल नदी की कुल लम्बाई 1051 किमी. है। मानव मैपिंग के अनुसार चम्बल नदी राजस्थान में 135 या 153 किमी. बहती है, जबकि इसकी कुल लम्बाई 965 किमी. मापी गई है। चम्बल नदी तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और उतरप्रदेश में बहती है। चम्बल नदी सबसे अधिक मध्यप्रदेश में बहती है तथा सबसे कम उतरप्रदेश में बहती है। 

चंबल नदी के पास कौन सा मंदिर है –

चम्बल नदी के पास मुख्य रूप से कोटा में स्थित गरडिया महादेव का मंदिर है। गरडिया महादेव मंदिर राजस्थान के कोटा शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर, चंबल नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर समुद्र तल से 500 फीट की ऊंचाई पर एक चट्टान पर स्थित है। मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था, और यह भगवान शिव को समर्पित है।

चंबल नदी के पास मंदिर

इसके अलावा धौलपुर में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर है। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है, जो धौलपुर के बीहड़ो में चम्बल नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां स्थित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। यह शिवलिंग सुबह के समय लाल, दोपहर में केसरिया और रात को सांवला हो जाता है।

चम्बल की किस सहायक नदी का नाम एक राष्ट्रीय उद्यान का भी नाम है –

चंबल की सहायक नदी कुनु का नाम एक राष्ट्रीय उद्यान का भी नाम है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है। कुनु नदी चम्बल की सहायक नदी है, जो मध्यप्रदेश के गुना से निकलती है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान 1981 में एक अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और 2005 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में भारतीय भेड़िये, तेंदुए, चीतल, नीलगाय, और कई अन्य वन्यजीवों की प्रजातियां पाई जाती हैं।

चंबल नदी किसने गिरवी रखी

चंबल नदी को किसी ने गिरवी नहीं रखा है। यह एक लोकप्रिय मिथक है कि चंबल नदी को 18वीं शताब्दी में ग्वालियर के राजा ने गिरवी रखा था। इस मिथक का आधार एक किस्सा है कि ग्वालियर के राजा को अपने राज्य के खर्चों को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत थी। उन्होंने एक व्यापारी से पैसे उधार लिए, लेकिन व्यापारी ने उन्हें पैसे देने से इनकार कर दिया जब तक कि वह उन्हें कुछ गिरवी नहीं रखते। राजा ने चंबल नदी को गिरवी रख दिया, और व्यापारी ने उन्हें पैसे दे दिए।

हालांकि, इस किस्से का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। चंबल नदी एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है, और इसे गिरवी रखने से राज्य को गंभीर आर्थिक नुकसान होता। इसलिए यह संभावना नहीं है कि कोई भी राजा ऐसा जोखिम उठाएगा।

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