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राजस्थान के प्रतीक चिन्ह (rajasthan ke pratik chinh) | गोडावण, चिंकारा, खेजड़ी, रोहिडा,ऊंट के महत्वपूर्ण प्रश्‍न (Mcq)

राजस्थान के राज्य प्रतीक चिन्ह( गोडावण ,चिंकारा,खेजड़ी,रोहिडा,ऊंट) को राज्य विरासत कब घोषित किए गए

बास्केटबॉल को राज्य खेल घोषित किया गया – 1948 (raj police 2020)
गोडावण को राज्य पक्षी घोषित किया गया –  1981  (raj police 2020)

 चिंकारा को वन्य जीव श्रेणी में राजकीय पशु घोषित किया गया-1981       

खेजड़ी को राज्य वृक्ष घोषित किया गया – 31 oct 1983

रोहिडा को राज्य पुष्प घोषित किया गया – 31 oct 1983

ऊंट को पशुधन श्रेणी में राज्य पशु घोषित किया गया – 30 jun 2014
जबकी अधिसूचना जारी की गई   -19 sept 2014  

 

इनके अलावा

राज्य गीत – केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश 

राज्य शास्त्रीय नृत्य- कत्थक 

राज्य नृत्य – घूमर

राज्य मिठाई  – घेवर 

राज्य कवि –  सूर्यमल मिश्रण

राज्य का लोक वाद्य – अलगोजा

राजस्थान के प्रतीक चिन्हों के वैज्ञानिक नाम

गोडावण का वैज्ञानिक नाम   – कौरियोटिस नाइग्रीसेप (Choriotis nigriceps) या Ardeotis nigriceps 

चिंकारा का वैज्ञानिक नाम  – गजेला बेनेट्टी (Gazella Bennettii)

रोहिड़ा का वैज्ञानिक नाम – टिकोमेला अडुलेटा (Tecomella undulata)(Raj police 2020)

खेजड़ी का वैज्ञानिक नाम – प्रोसोपिस सिनेरेरिया(prosopis cineraria)( Raj police 2020)

सेवण घास का वैज्ञानिक नाम-लसिउरुस सिंडिकुस ( Lasiurus sindicus)

धामण घास का वैज्ञानिक नाम- Cenchrus Ciliaris

ऊंट  का वैज्ञानिक नाम- Camelus dromedarius(कैमेलस डोमेडेरियस) (Lab Assistant 2019)

धोकड़ा  का वानस्पतिक नाम – एनोजिस पेण्डुला (Anogeissus pendula)

▪ महुआ वृक्ष का वानस्पतिक नाम-मधुका लॉन्गीफोलिया

राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण( great indian bustard) के बारे में

 अंग्रेजी में इसे  ग्रेट इंडियन बस्टर्ड(great indian bustard)(GIB) कहते हैं, हाडोती क्षेत्र सोरसेन में माल मोरड़ी के नाम से जाना जाता है ,  हिंदी में इसे सोहन चिड़िया या हुकना (क्योंकि इस को डराने पर यह हुक  जैसी ध्वनि  निकालता है) या गुधनमेर या गगनभेर/गुरायन (क्योंकि यह बादल के गरजने जैसी आवाज निकालता है ) नाम से जानते है।

⤷  जैसलमेर की सेवण घास (Lasiurus sindicus) गोडावण के  लिए अनुकूल है। 

⤷  यह पक्षी अत्यंत शर्मिला है और सघन  घास में रहना है।

⤷  यह वृक्षों पर नहीं बैठता इसलिए जल के निकट घास का घोंसला बनाकर रहता है।

⤷  गोडावण राष्ट्रीय मरू उद्यान (जैसलमेर), शोकलिया (अजमेर) तथा सौरसेन (बांरा) (जेल प्रहरी 2017)  में पाए जाते हैं।

गोडावण को IUCN की रेड डाटा बुक में गंभीर रूप से संकटग्रस्त पक्षी के रूप में तथा भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 में रखा गया है। 

⤷  गोडावण  को 24 Feb 2020 को  गांधीनगर (गुजरात) में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय के 13वें COP सम्मेलन में Mascot(शुभंकर ) घोषित किया गया था (मूल्यांकन अधिकारी 2020)

⤷  शुतुरमुर्ग के समान लंबी गर्दन और लंबी टांगों वाला यह पक्षी दौड़ लगाने में दक्ष है।

⤷  गोडावण के प्रजनन के लिए जोधपुर जंतुआलय  प्रसिद्ध है जबकि गोडावण की  शरणस्थली राष्ट्रीय मरू उद्यान (डेजर्ट नेशनल पार्क) जैसलमेर है ( क्योंकि गोडावण पक्षी इसी उद्यान में सर्वाधिक संख्या में  पाए जाते हैं)

गोडावण पक्षी की विलुप्त होती जा रही प्रजाति के संरक्षण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife institute of india) देहरादून के सहयोग से जैसलमेर के सम क्षेत्र में विश्व का पहला कृत्रिम हैचिंग सेंटर (means गोडावण के अंडों को एक निश्चित तापमान और आर्द्रता वाले कृत्रिम वातावरण में रखा जाता है) स्थापित किया जा रहा है।(खाद्य सुरक्षा अधिकारी 2019)

इस विशाल पक्षी को बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने हाल ही में एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। प्रोजेक्ट का विज्ञापन “मेरी उड़ान न रोकें” जैसे मार्मिक वाक्यांश से किया गया है।

⤷  राजस्थान में गोडावण की संख्या कितनी है?

 Ans. वर्तमान में पूरे विश्व में गोडावण की संख्या केवल 150 ही रह गई है, जिनमें से सर्वाधिक   लगभग 120 पक्षी राजस्थान में हैं आंध्र प्रदेश 7 गुजरात में 2 है। 

⤷ राजस्थान ने देश में पहली बार गोडावण के संरक्षण हेतु प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (project great indian bustard) 5 जून 2013 को कहां लांच किया गया था? 

  • (A) राष्ट्रीय मरू उद्यान जैसलमेर
  • (B) खीचन गांव जोधपुर
  • (C) सम गांव जैसलमेर
  • (D) अजमेर

Ans. -(A) राष्ट्रीय मरू उद्यान जैसलमेर
Exp. – ‘प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ के तहत जैसलमेर के प्रजनन केंद्र में पहली बार 1 अप्रैल 2023 को गोडावण के अंडे से स्वस्थ चूजे का जन्म हुआ है।

प्रोजेक्ट गोडावण के तहत GIB species recovery programme  के अनुसार भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा गोडावण के प्रजनन एवं संरक्षण हेतु GIB Breeding centre(प्रजनन केंद्र) की स्थापना कहां की जाएगी?

  • (A) सोरसेन बाँरा 
  • (B) रामदेवरा जैसलमेर
  • (C) शोकलिया अजमेर
  • (D) सम गांव जैसलमेर

Ans. – (A) सोरसेन बाँरा 
Exp- जबकी GIB Egg collection and hatching centre की स्थापना रामदेवरा ( जैसलमेर) में की जाएगी। 

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